Monday, July 25, 2011

चंबल संरक्षण समितियों में विशेषज्ञ शामिल नहीं

सचिन शर्मा.
भोपाल। चंबल नदी और उसमें पलने वाले वन्यजीवों के संरक्षण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) के अधीन तीन समितियों का गठन किया गया है। इनमें केंद्रीय अधिकारियों के अलावा मप्र, उप्र और राजस्थान के सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठन के लोगों को शामिल किया गया है।
एमओईएफ द्वारा बनाई गई पहली समिति के चेयरमेन केंद्र में एडीजी (वन्यजीव) जगदीश किशवन को बनाया गया है। इसके अलावा वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के परीक्षित गौतम और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के कई वैज्ञानिकों को भी इसमें शामिल किया गया है। इसमें प्रत्येक राज्य के पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) भी मानद रूप से सदस्य होंगे। इसी तरह दूसरी समिति में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सीईओ रवि सिंह को चेयरमेन बनाया गया है, जबकि डब्ल्यूआईआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक बीसी. चौधरी को सह अध्यक्ष बनाया गया है। तीसरी समिति में सभी तीनों राज्यों के वन मंडलाधिकारियों को और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
किसी भी प्रदेश से विशेषज्ञ शामिल नहीं
इन तीनों ही समितियों में तीनों संबंधित प्रदेशों के किसी भी वन्यजीव विशेषज्ञ को शामिल नहीं किया गया है। इनमें ऐसे भी विशेषज्ञ नहीं हैं जिन्होंने चंबल पर काम किया हो। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के डॉ. आरजे राव चंबल पर लंबे समय से काम कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक हैं। चंबल के घडिय़ालों और कछुओं पर उनके द्वारा किए गए शोध दुनिया भर में सराहे गए हैं। उन्हीं के साथ चंबल के अध्ययन से काफी समय से जुड़े सीताराम टैगोर भी इन समितियों के सदस्य नहीं बनाए गए। उप्र के चंबल मैन कहलाए जाने वाले इटावा के राजीव चौहान को भी इन समितियों से दूर रखा गया है।

Source http://www.bhaskar.com/article/c-58-1566637-2292606.html?C3-BHL=

Tuesday, July 19, 2011