भी पानी का जलस्तर कम हो गया है।
भास्कर संवाददाता-!-मुरैना
अंचल में रियासत कालीन करीब एक सैकड़ा से अधिक तालाब थे। इनमें से केवल एक तालाब में ही पानी है। वह भी काफी कम। तालाबों में पानी सूखने की वजह जल संरक्षण की ओर न तो प्रशासन का ध्यान देना है और न ही लोगों का जागरूक होना है। यही हाल नदियों का भी है। क्वारी नदी तो सूख चुकी है अन्य में जलस्तर काफी कम है। यहां तक कि अंचल की सबसे बड़ी नदी चंबल में पानी कम हो गया है।
अंचल में तोमर व सिंधिया राजवंशों ने जलसंरक्षण के लिए करीब एक सैकड़ा से अधिक तालाब बनवाए थे। इनमें से सबलगढ़ का टौंगा तालाब व बस्तपुर के तालाब प्रमुख हैं। टांैगा तालाब में तो कुछ पानी है, लेकिन बस्तपुर तालाब पूरी तरह से सूख चुका है। सालों से इनमें पानी नहीं है। यही हाल अन्य तालाबों का भी है। अधिकतर को लोगों ने खेतों में परिवर्तित कर लिया है।
शहर के तालाबों में बने मकान: शहर में आधा दर्जन से अधिक तालाब व तलैया थे। इनमें से केवल इंद्रा सागर तालाब व हाईवे के किनारे के तालाबों में पानी है। अन्य तालाबों की जमीन को माफिया ने बेच दिया है। इन तालाबों में अब पानी की जगह मकान बने हुए हैं।
क्वारी सूखी, अन्य में पानी कम: अंचल की प्रमुख नदी क्वारी सूख चुकी है। अब यह केवल बरसाती नदी रह गई है। यही हाल आसन, सांक व चंबल नदी का भी है। इनमें भी पानी का स्तर बहुत कम हो गया है।
नहीं हुए प्रयास: तालाबों को बचाने के लिए न तो प्रशासन ने प्रयास किए और न ही लोगों ने। क्वारी नदी पर सूखे के समय में बोरी बंधान कर पानी रोका गया था। लेकिन इसके बाद नदी के पानी को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। साथ ही प्रशासन ने तालाबों पर हुए कब्जों को हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-57789-2948428.html
भास्कर संवाददाता-!-मुरैना
अंचल में रियासत कालीन करीब एक सैकड़ा से अधिक तालाब थे। इनमें से केवल एक तालाब में ही पानी है। वह भी काफी कम। तालाबों में पानी सूखने की वजह जल संरक्षण की ओर न तो प्रशासन का ध्यान देना है और न ही लोगों का जागरूक होना है। यही हाल नदियों का भी है। क्वारी नदी तो सूख चुकी है अन्य में जलस्तर काफी कम है। यहां तक कि अंचल की सबसे बड़ी नदी चंबल में पानी कम हो गया है।
अंचल में तोमर व सिंधिया राजवंशों ने जलसंरक्षण के लिए करीब एक सैकड़ा से अधिक तालाब बनवाए थे। इनमें से सबलगढ़ का टौंगा तालाब व बस्तपुर के तालाब प्रमुख हैं। टांैगा तालाब में तो कुछ पानी है, लेकिन बस्तपुर तालाब पूरी तरह से सूख चुका है। सालों से इनमें पानी नहीं है। यही हाल अन्य तालाबों का भी है। अधिकतर को लोगों ने खेतों में परिवर्तित कर लिया है।
शहर के तालाबों में बने मकान: शहर में आधा दर्जन से अधिक तालाब व तलैया थे। इनमें से केवल इंद्रा सागर तालाब व हाईवे के किनारे के तालाबों में पानी है। अन्य तालाबों की जमीन को माफिया ने बेच दिया है। इन तालाबों में अब पानी की जगह मकान बने हुए हैं।
क्वारी सूखी, अन्य में पानी कम: अंचल की प्रमुख नदी क्वारी सूख चुकी है। अब यह केवल बरसाती नदी रह गई है। यही हाल आसन, सांक व चंबल नदी का भी है। इनमें भी पानी का स्तर बहुत कम हो गया है।
नहीं हुए प्रयास: तालाबों को बचाने के लिए न तो प्रशासन ने प्रयास किए और न ही लोगों ने। क्वारी नदी पर सूखे के समय में बोरी बंधान कर पानी रोका गया था। लेकिन इसके बाद नदी के पानी को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। साथ ही प्रशासन ने तालाबों पर हुए कब्जों को हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
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