भोपाल. जंगल बढ़ाने की योजनाओं पर 10 साल में 200 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद प्रदेश में 1230 वर्ग किलोमीटर सघन वन घट गया। यह खुलासा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट में 1997 से 2007 के बीच का विश्लेषण किया गया है। प्रदेश में 1997 में 42 हजार 884 वर्ग किमी क्षेत्र में सघन वन थे। दस साल बाद 2007 में यह क्षेत्रफल घटकर 41654 वर्ग किमी रह गया।
गौरतलब है कि वन विभाग जंगल बढ़ाने के लिए हर साल एक करोड़ पौधे रोपने पर 20 करोड़ रुपए खर्च करता है। विभाग ने 2006 से 2009 के बीच 5 करोड़ 28 लाख 57 हजार पौधे रोपे।
विभाग का दावा है कि इनमें से 3 करोड़ 81 लाख 95 हजार पौधे जीवित बचे हैं। बीते साल पौधारोपण के बजट में 36 करोड़ रुपए थे जिनमें से 18 करोड़ रोपणी से और शेष 18 करोड़ केंद्रीय परियोजना से मिले थे।
इसके अलावा जंगल बढ़ाने के लिए वन विभाग लाखों की संख्या में पौधे गैर सरकारी संगठनों को भी बांटता है।
वनीकरण से करेंगे भरपाई
हां, सघन वन का क्षेत्र कम हुआ है। यह कटाई या बांध आदि बनने के समय जंगलों को क्षति का नतीजा है। इसकी भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति वनीकरण की योजना शुरू की है। अगले 8-10 सालों में हम सघन वन का खोया हुआ क्षेत्र वापस प्राप्त कर लेंगे।
रमेश के दवे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मप्र
http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-lighter-woods-yet-2061903.html
रिपोर्ट में 1997 से 2007 के बीच का विश्लेषण किया गया है। प्रदेश में 1997 में 42 हजार 884 वर्ग किमी क्षेत्र में सघन वन थे। दस साल बाद 2007 में यह क्षेत्रफल घटकर 41654 वर्ग किमी रह गया।
गौरतलब है कि वन विभाग जंगल बढ़ाने के लिए हर साल एक करोड़ पौधे रोपने पर 20 करोड़ रुपए खर्च करता है। विभाग ने 2006 से 2009 के बीच 5 करोड़ 28 लाख 57 हजार पौधे रोपे।
विभाग का दावा है कि इनमें से 3 करोड़ 81 लाख 95 हजार पौधे जीवित बचे हैं। बीते साल पौधारोपण के बजट में 36 करोड़ रुपए थे जिनमें से 18 करोड़ रोपणी से और शेष 18 करोड़ केंद्रीय परियोजना से मिले थे।
इसके अलावा जंगल बढ़ाने के लिए वन विभाग लाखों की संख्या में पौधे गैर सरकारी संगठनों को भी बांटता है।
वनीकरण से करेंगे भरपाई
हां, सघन वन का क्षेत्र कम हुआ है। यह कटाई या बांध आदि बनने के समय जंगलों को क्षति का नतीजा है। इसकी भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति वनीकरण की योजना शुरू की है। अगले 8-10 सालों में हम सघन वन का खोया हुआ क्षेत्र वापस प्राप्त कर लेंगे।
रमेश के दवे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मप्र
http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-lighter-woods-yet-2061903.html
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