ग्वालियर. शहर से 19 किमी दूर निरावली गांव में रविवार को 19 और मोरों की मौत पर ग्रामीणों में उबाल आ गया। उन्होंने मोरों के शव के साथ एबी रोड पर ट्रैफिक जाम कर दिया। साढ़े तीन घंटे तक चले ट्रैफिक जाम से इस महत्वपूर्ण हाईवे पर चार किमी तक एक हजार से अधिक वाहनों की कतारें लग गईं।
ग्रामीणों की मांग थी कि मोरों की मौत के लिए जिम्मेदार रायरू डिस्टलरी को यहां से हटाया जाए, इसका गंदा पानी राष्ट्रीय पक्षी के लिए काल बन गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 23 अप्रैल को 26 मोरों की मौत हो चुकी है।
19 और मोरों की मौत हो गई निरावली गांव में
3.30 घंटे ट्रैफिक जाम रखा गुस्साए ग्रामीणों ने
04 किमी लंबे जाम में फंसे 1000 से अधिक वाहन
प्यास से रहे बेहाल
निरावली गांव में मोरों की मौत से नाराज ग्रामीणों ने एबी रोड पर साढ़े तीन घंटे तक ट्रैफिक जाम कर प्रशासन पर तो कुछ हद तक दबाव डालने में सफलता पा ली, लेकिन पांच हजार यात्रियों को धधकती गर्मी नंे बेहाल कर दिया। चार किमी तक वाहनों की कतारें लगने से इसमें सवार लोगों के लिए यह जाम किसी सजा से कम नहीं था। बच्चे व महिलाएं चिलचिलाती धूप में परेशान होती रही।
निरावली के ग्रामीणों द्वारा चक्काजाम करने से सड़क की दोनों तरफ वाहनों में सवार पांच हजार लोग प्यास से बेहाल रहे। पानी के लिए लोग खेतों पर नलकूप ढूंढने निकल पड़े। सबसे बुरा हाल बच्चों व महिलाओं का रहा, जिनके वाहन के पास ढाबे थे, वहां तो लोगों ने पानी की बोतल व पाउच खरीद कर प्यास बुझाई लेकिन जहां दूर-दूर तक पानी नहीं था,वे बोतल लिए भटक रहे थे। भीषण गर्मी के कारण लोगों को बार-बार प्यास लग रही थी।
लोग वाहनों से बाहर आकर सड़क किनारे पेड़ों के नीचे बैठ गए। एक स्थान पर नलकूप चलता देख लोग उधर दौड़े और बोतलों में पानी भरने वालों की भीड़ लग गई। वहीं ट्रैफिक जाम खुलवाने में पुलिस असहाय दिखी। क्योंकि ग्रामीण उनकी कोई बात सुनने को राजी नहीं थे।
विसरा जांच आने में लगेगा एक माह का समय: 23 अप्रैल को 26 मोरों की मौत हो गई थी। इन मोरों का पोस्टमार्टम करने के बाद इनका विसरा जांच के लिए सागर एवं जबलपुर की लैब में भेजा गया था लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
वन विभाग का कहना है कि विसरा रिपोर्ट आने में कम से कम एक माह का समय लगेगा। उधर पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है, इसलिए वन विभाग को विसरा जांच के लिए कहा गया था।
पुलिस रही असहाय
पुलिस कर्मी ट्रैफिक जाम शुरू होने के कुछ ही देर बाद निरावली पहुंच गए थे लेकिन वे ग्रामीणों को समझाने में विफल रहे। जाम में फंसने वाले वाहन चालक पुलिस कर्मियों से जाम खुलवाने के लिए बार-बार आग्रह कर रहे थे लेकिन पुलिस लाचार थी।
कलेक्टर ने मांगा प्रस्ताव
रायरू डिस्टलरी के पानी से पैदा हो रही समस्याओं को दूर करने के लिए कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वन अधिकारियों से कहा कि यदि डिस्टलरी क्षेत्र वन्य प्राणी क्षेत्र में है तो फैक्टरी प्रबंधन के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा नहीं है तो लोक सुविधाओं के हनन पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत प्रस्ताव उन्हें भेजा जाए। वन विभाग ने दोनों ही मामलों में अभी कार्रवाई नहीं की है।
आज होगी संयुक्त बैठक
चक्काजाम करने वाले ग्रामीणों के बीच पहुंचीं सिटी मजिस्ट्रेट उमा करारे ने बताया कि सोमवार को सुबह 11 बजे संयुक्त बैठक होगी। अपर कलेक्टर आरके जैन की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में पांच ग्रामीण, रायरू डिस्टलरी प्रबंधन का प्रतिनिधि, आबकारी तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल रहेंगे।
पहले भी हो चुकी है जांच
डिस्टलरी से निकलने वाले पानी के कारण खेत की मिट्टी खराब होने की शिकायत डेढ़ साल पहले भी किसानों ने की थी। तब भी कलेक्टर ने धारा 133 के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच कराई गई थी। इसके बाद कमेटी को पानी की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी पर जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पानी को प्रदूषित नहीं माना था।
जमीन के अंदर जा रहा है गंदा पानी
लगभग तीन हजार की आबादी वाले निरावली गांव के ग्रामीणों का कहना है कि डिस्टलरी से निकलने वाला दूषित पानी खेतों में जा रहा है। दूषित पानी नलकूप एवं कुओं में स्रोत के माध्यम से पहुंच रहा है, इससे लोगों को पेट की बीमारियां हो रही है। गांव में लगे नलकूप एवं कुओं से निकलने वाले पानी की जांच कराई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि 10 दिन में लगभग एक सैकड़ा मोरों की मौत हो चुकी है।
ट्रैफिक जाम से हालत खस्ता
ग्वालियर से सुबह 11:30 बजे बानमोर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए परिवार के साथ निकला था लेकिन घंटों जाम में फंसने के कारण परिवार के सदस्यों की हालत खराब हो गई है। इसलिए घर लौटने पर विचार कर रहा हूं।
रामवीर सिंह
मैं बेटी को ग्वालियर पेपर दिलवाने के लिए कार से आया था, मुझे नहीं मालूम था कि कार से वापस जयपुर जाने पर मुझे इस तरह के जाम में फंसना पड़ेगा। इस गर्मी में कहीं भी पानी पीने को नहीं मिला।
मदन मोहन शर्मा
http://www.bhaskar.com/article/MP-GWA-people-jammed-road-in-gwalior-in-protest-against-death-of-peacocks-2069833.html
ग्रामीणों की मांग थी कि मोरों की मौत के लिए जिम्मेदार रायरू डिस्टलरी को यहां से हटाया जाए, इसका गंदा पानी राष्ट्रीय पक्षी के लिए काल बन गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 23 अप्रैल को 26 मोरों की मौत हो चुकी है।
19 और मोरों की मौत हो गई निरावली गांव में
3.30 घंटे ट्रैफिक जाम रखा गुस्साए ग्रामीणों ने
04 किमी लंबे जाम में फंसे 1000 से अधिक वाहन
प्यास से रहे बेहाल
निरावली गांव में मोरों की मौत से नाराज ग्रामीणों ने एबी रोड पर साढ़े तीन घंटे तक ट्रैफिक जाम कर प्रशासन पर तो कुछ हद तक दबाव डालने में सफलता पा ली, लेकिन पांच हजार यात्रियों को धधकती गर्मी नंे बेहाल कर दिया। चार किमी तक वाहनों की कतारें लगने से इसमें सवार लोगों के लिए यह जाम किसी सजा से कम नहीं था। बच्चे व महिलाएं चिलचिलाती धूप में परेशान होती रही।
निरावली के ग्रामीणों द्वारा चक्काजाम करने से सड़क की दोनों तरफ वाहनों में सवार पांच हजार लोग प्यास से बेहाल रहे। पानी के लिए लोग खेतों पर नलकूप ढूंढने निकल पड़े। सबसे बुरा हाल बच्चों व महिलाओं का रहा, जिनके वाहन के पास ढाबे थे, वहां तो लोगों ने पानी की बोतल व पाउच खरीद कर प्यास बुझाई लेकिन जहां दूर-दूर तक पानी नहीं था,वे बोतल लिए भटक रहे थे। भीषण गर्मी के कारण लोगों को बार-बार प्यास लग रही थी।
लोग वाहनों से बाहर आकर सड़क किनारे पेड़ों के नीचे बैठ गए। एक स्थान पर नलकूप चलता देख लोग उधर दौड़े और बोतलों में पानी भरने वालों की भीड़ लग गई। वहीं ट्रैफिक जाम खुलवाने में पुलिस असहाय दिखी। क्योंकि ग्रामीण उनकी कोई बात सुनने को राजी नहीं थे।
विसरा जांच आने में लगेगा एक माह का समय: 23 अप्रैल को 26 मोरों की मौत हो गई थी। इन मोरों का पोस्टमार्टम करने के बाद इनका विसरा जांच के लिए सागर एवं जबलपुर की लैब में भेजा गया था लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
वन विभाग का कहना है कि विसरा रिपोर्ट आने में कम से कम एक माह का समय लगेगा। उधर पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है, इसलिए वन विभाग को विसरा जांच के लिए कहा गया था।
पुलिस रही असहाय
पुलिस कर्मी ट्रैफिक जाम शुरू होने के कुछ ही देर बाद निरावली पहुंच गए थे लेकिन वे ग्रामीणों को समझाने में विफल रहे। जाम में फंसने वाले वाहन चालक पुलिस कर्मियों से जाम खुलवाने के लिए बार-बार आग्रह कर रहे थे लेकिन पुलिस लाचार थी।
कलेक्टर ने मांगा प्रस्ताव
रायरू डिस्टलरी के पानी से पैदा हो रही समस्याओं को दूर करने के लिए कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वन अधिकारियों से कहा कि यदि डिस्टलरी क्षेत्र वन्य प्राणी क्षेत्र में है तो फैक्टरी प्रबंधन के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा नहीं है तो लोक सुविधाओं के हनन पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत प्रस्ताव उन्हें भेजा जाए। वन विभाग ने दोनों ही मामलों में अभी कार्रवाई नहीं की है।
आज होगी संयुक्त बैठक
चक्काजाम करने वाले ग्रामीणों के बीच पहुंचीं सिटी मजिस्ट्रेट उमा करारे ने बताया कि सोमवार को सुबह 11 बजे संयुक्त बैठक होगी। अपर कलेक्टर आरके जैन की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में पांच ग्रामीण, रायरू डिस्टलरी प्रबंधन का प्रतिनिधि, आबकारी तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल रहेंगे।
पहले भी हो चुकी है जांच
डिस्टलरी से निकलने वाले पानी के कारण खेत की मिट्टी खराब होने की शिकायत डेढ़ साल पहले भी किसानों ने की थी। तब भी कलेक्टर ने धारा 133 के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच कराई गई थी। इसके बाद कमेटी को पानी की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी पर जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पानी को प्रदूषित नहीं माना था।
जमीन के अंदर जा रहा है गंदा पानी
लगभग तीन हजार की आबादी वाले निरावली गांव के ग्रामीणों का कहना है कि डिस्टलरी से निकलने वाला दूषित पानी खेतों में जा रहा है। दूषित पानी नलकूप एवं कुओं में स्रोत के माध्यम से पहुंच रहा है, इससे लोगों को पेट की बीमारियां हो रही है। गांव में लगे नलकूप एवं कुओं से निकलने वाले पानी की जांच कराई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि 10 दिन में लगभग एक सैकड़ा मोरों की मौत हो चुकी है।
ट्रैफिक जाम से हालत खस्ता
ग्वालियर से सुबह 11:30 बजे बानमोर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए परिवार के साथ निकला था लेकिन घंटों जाम में फंसने के कारण परिवार के सदस्यों की हालत खराब हो गई है। इसलिए घर लौटने पर विचार कर रहा हूं।
रामवीर सिंह
मैं बेटी को ग्वालियर पेपर दिलवाने के लिए कार से आया था, मुझे नहीं मालूम था कि कार से वापस जयपुर जाने पर मुझे इस तरह के जाम में फंसना पड़ेगा। इस गर्मी में कहीं भी पानी पीने को नहीं मिला।
मदन मोहन शर्मा
http://www.bhaskar.com/article/MP-GWA-people-jammed-road-in-gwalior-in-protest-against-death-of-peacocks-2069833.html
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