प्रदेश में कृषि उत्पादन बढ़ाने, जलाभिषेक अभियान के बेहतर संचालन और स्कूल चलें अभियान से जन-जन को जोड़ने के लिये भोपाल में 9 अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा गठित मंत्रिपरिषद् समिति की बैठक मंत्रालय में संपन्न हुई। इन अभियानों के अधिक प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से आवश्यक रणनीति तैयार करने के लिये यह समिति गठित की गई है। मंत्रालय में संपन्न बैठक में समिति के सदस्य जल संसाधन एवं पर्यावरण मंत्री श्री जयंत मलैया, सामाजिक न्याय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव, पशुपालन मछली पालन, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री श्री अजय विश्नोई और किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया बैठक में उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों संपन्न मंत्रिपरिषद् की बैठक में प्रदेश में कृषि उत्पादन बढ़ाने, जलाभिषेक और 'स्कूल चलें हम' अभियानों को इस वर्ष नई ऊर्जा से संचालित करने के लिये सुझाव आमंत्रित करने और पूर्व वर्षों के अभियानों की समीक्षा के लिये मंत्रिपरिषद् समिति गठित करने के निर्देश दिए थे। इन अभियानों का स्वरूप निखारने से इनका लाभ आने वाले वर्षों में अधिक कारगर ढंग से प्राप्त हो सकेगा।
तय होगी कृषि के लिये नई रणनीति
मंत्रिपरिषद् समिति ने प्रदेश में फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिये वृहत्त समुदाय आधारित कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण देखा और किसानों के लिये सर्वोत्तम तकनीक के प्रयोग, कीट व्याधि नियंत्रण, रासयनिक खाद के संतुलित प्रयोग, प्रदाय बीजों के शत-प्रतिशत उपचार, कृषि यंत्रों का बेहतर उपयोग और मंडियों में कृषकों को सही मूल्य से संबंधित बिन्दुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। इस मौके पर बताया गया कि प्रदेश में कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने, फसलों की उत्पादकता और क्षेत्राच्छादन बढ़ाने, कृषकों को बोयी जाने वाली फसलों की सर्वोत्तम विधियों को अपनाने और किसानों को उपलब्ध संसाधनों के सार्थक उपयोग की दृष्टि से अभियान का प्रारूप और कार्य योजना तैयार की गई है। कृषि विभाग द्वारा तैयार अभियान के प्रारूप में जानकारी दी गई कि कृषकों को लाभकारी कृषि के लिये जागरूक तथा प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर तक प्रचार अभियान संचालित किया जायेगा। इसके लिये मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का भी व्यापक उपयोग होगा। इसके अलावा प्रगतिशील कृषकों को कृषि विकास मित्र के रूप में अन्य कृषकों को जागरूक बनाने संबंधी दायित्व दिया जायेगा। अभियान में राज्य सरकार की भूमिका सिर्फ संयोजक की होगी। कृषक, कृषि से जुड़े गैर संगठन और निर्वाचित जनप्रतिनिधि, उत्पादकता वृद्धि के इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। आज के प्रस्तुतिकरण में समिति ने किसानों तक संदेश पहुंचाने के लिये तैयार किये जाने वाले पोस्टर्स और अन्य प्रचार सामग्री की भाषा सरल लिखे जाने और कम शब्दों में प्रभावी संदेश देने की जरूरत बताई। समिति सदस्यों ने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये संचालित होने वाले इस अभियान तथा खरीफ अभियान से जुड़े सुझाव दिए। इस दौरान फसलों की कटौती के पश्चात खेत को समतल कर पुन: बीजारोपण के लिये विकसित नये यंत्रों से किसानों को लाभान्वित कराने के निर्देश भी दिए गए। बैठक के दौरान यह भी जानकारी दी गई कि आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में कोदो कुटकी के उत्पादन के लिये कृषकों को प्रोत्साहित किया गया है। सहकारिता के माध्यम से किसान अब अपनी फसल का लगभग दोगुना मूल्य प्राप्त कर रहे हैं। कोदो कुटकी उत्पादक आदिवासी किसानों को प्रोसेसिंग प्लांट एवं विपणन व्यवस्था उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जा रहा है। समिति सदस्यों ने कृषि उपकरण निर्माण में निजी क्षेत्र में खुरई और बीना में हो रहे कार्य की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि किसान काल सेंटर में प्राप्त किसानों के सुझावों और शिकायतों को संकलित कर आवश्यक समाधान की कार्रवाई प्राथमिकता पूर्वक की जाएगी।
पीढ़ी जल संवाद का होगा आयोजन
भोपाल में 9 अप्रैल को संपन्न बैठक में दो माह अवधि के लिये जलाभिषेक अभियान के सुचारू संचालन के लिये पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्तुतिकरण को भी मंत्रिपरिषद् समिति ने देखा। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री आर. परशुराम ने बताया कि जलाभिषेक अभियान 2011-12 में नदियों को पुनर्जीवित करने, जल स्वावलंबी ग्रामों के विकास, भागीरथ कृषकों को प्रोत्साहन, पुरानी जल संग्रह संरचनाओं की मरम्मत और उनके नवीनीकरण के संबंध में रणनीति तैयार की गई है। पिछले वर्षों के जलाभिषेक अभियानों में जिन कार्यों से बेहतर परिणाम मिले हैं, उन्हें दोहराते हुए और अधिक संख्या में आमजन को अभियान से जोड़ा जायेगा। इस वर्ष प्रस्तावित कार्ययोजना में जिला जल संसद के आयोजन, जनपद जल सम्मेलनों के आयोजन, जल यात्रा और नदी संवाद के आयोजनों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक ग्राम में पीढ़ी जल संवाद का आयोजन भी होगा, जिसमें ग्रामसभाओं में नौजवानों और बुर्जुगों के मध्य खुला संवाद आयोजित किया जायेगा। पीढ़ी जल संवाद के आयोजन का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी को पूर्व दशकों में जल संरक्षण की दिशा में अपनाए गए श्रेष्ठ सफल प्रयोगों से अवगत कराना है। इसके तहत बातचीत के माध्यम से बुर्जुगों का पारम्परिक ज्ञान, युवाओं को स्थानान्तरित किया जायेगा। जलाभिषेक अभियान के प्रति सामाजिक चेतना बढ़ाने और समुदाय को सक्रिय भागीदारी के लिये प्रोत्साहित करने के लिये अच्छा कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों, व्यक्तियों और भागीरथ कृषकों का सम्मान भी प्रस्तावित है। इस पर बताया गया कि जलाभिषेक के अभियान में भागीरथ कृषकों द्वारा गत वर्ष 5678 कार्य संपादित हुए हैं। इन पर 68 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई। इसी तरह अन्य जल संरक्षण और जल सवंर्द्धन कार्यों को अंजाम देने के लिये 880 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। इसमें 32 करोड़ रुपये का जनसहयोग भी प्राप्त हुआ। बैठक में बताया गया कि बुंदेलखंड के किसान मेढ़ बंधान कार्यों में विशेष रुचि ले रहे हैं। समिति सदस्यों ने सुझाव दिया कि जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाए और इसके लिये श्रेष्ठ वक्ताओं का चयन किया जाये। बैठक में मनरेगा के माध्यम से कृषकों को तालाबों के गहरीकरण के पश्चात निकाली गई मिट्टी का परिवहन भी योजना के तहत किये जाने की जानकारी भी दी गई। दीवार लेखन जैसे प्रचार माध्यमों का कृषकों को शिक्षित और सूचित करने में उपयोग किये जाने का सुझाव भी दिया। इसके अलावा उन्नत कृषकों को कृषि विभाग द्वारा गोद लेकर उनकी कृषि पद्धति का प्रत्यक्ष दर्शन अन्य किसानों को करवाने की भी समिति ने आवश्यकता बताई।
विद्याथिर्यों को देंगे अधिक प्रोत्साहन
स्कूल चलें अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों की दिनांकवार जानकारी मंत्रिपरिषद् समिति को दी गई। इसके तहत तीन चरणों में कार्रवाई की जाना है। सर्वप्रथम 20 अप्रैल को राज्य स्तर से जिलों को विस्तृत दिशा निर्देश भेजें जायेंगे। अभियान से संबंधित जिला स्तरीय बैठक कलेक्टरों द्वारा 5 मई को आयोजित की जायेगी। मई के द्वितीय सप्ताह में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्कूल चलें हम अभियान के तहत की जा रही कार्रवाई की समीक्षा की जायेगी। प्रत्येक बसाहट तक संपर्क का सर्वेक्षण किया जायेगा। ग्रामवार शिक्षा रजिस्टर बनाकर आवश्यक रिकार्ड रखा जायेगा। घर-घर जाकर शिक्षा का महत्व बताते हुए परिवारों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जायेगा। अभियान के तहत प्रत्येक विकास खंड में ऐसे 20-20 ग्रामों की सूची तैयार कर विशेष दल गठित किये जायेंगे, जहां शाला त्यागी बच्चों की संख्या अधिक रही है। ऐसे कमजोर क्षेत्र में अभियान के तहत बच्चों के विद्यालयों में प्रवेश पर अधिक ध्यान दिया जायेगा।
मंत्रिपरिषद् समिति के प्रमुख सुझाव -
खरीफ अभियान में फसलोन्मुखी, किसानोन्मुखी और ग्रामोन्मुखी नीति अपनाई जाए।
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जल स्वावलंबी ग्राम के साथ ही 40 हैक्टेयर से कम क्षमता के तालाबों और चेक डेम के निर्माण।
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नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास बढ़ाएं।
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नरेगा के तहत तालाबों के गहरीकरण के बाद मिट्टी का परिवहन कर उसका अन्यत्र एकत्रीकरण।
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स्कूल चलें अभियान के समर केम्प की बेहतर व्यवस्था।
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विद्यालयों के बांउड्रीवाल, टायलेट, शेड की व्यवस्था, सायकिल स्टेंड बनाए जाएं।
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नि:शक्तजन पुनर्वास केंद्रों के लिए आउटसोर्सिंग।
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किसानों के लिए पर्याप्त, अच्छे, प्रमाणित बीज की व्यवस्था।
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बीजोपचार पर विशेष ध्यान।
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गहरी जुताई के साथ कृषि भूमि की तैयारी।
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जल संसाधन विभाग के तालाबों का हो प्राथमिकता से जीर्णोद्धार।
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ग्रीष्मावकाश में भी मध्याह्न भोजन के माकूल इंतजाम हों।
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नि:शक्तजन को उनकी क्षमता के मुताबिक कौशल उन्नयन और रोजगार के अवसर।
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प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2011-12 में कक्षा एक के अलावा माध्यमिक शिक्षा के तहत कक्षा आठवीं के बच्चों के कक्षा नौवीं में शत-प्रतिशत नामांकन और कक्षा नौवीं के बच्चों की दक्षता में सुधार के उद्देश्य से स्कूल चलें हम अभियान के संचालन की कार्रवाई 15 अप्रैल से प्रारम्भ की जा रही है। इसके तहत सबसे पहले कक्षा 8 के बच्चों की सूची तैयार करने का कार्य किया जायेगा। अभियान के तहत 23 अप्रैल तक शिक्षकों को माध्यमिक शालाओं का आवंटन कर बच्चों की सूची उपलब्ध कराई जायेगी। शिक्षकों द्वारा शालाओं और बच्चों के पालकों से संपर्क का कार्य 10 से 15 जून के मध्य किया जायेगा। 16 जून से इन बच्चों के प्रवेश का कार्य प्रारम्भ होगा। प्रवेशित बच्चों की दक्षताओं का आकलन भी एक टेस्ट के माध्यम से किया जायेगा। अभियान से संबंधित प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी गई कि राज्य में ब्रिज कैंप और ब्रिज कोर्स की व्यवस्था से विद्याथिर्यों को लाभान्वित करने में सफलता मिली है।
भोपाल में 9 अप्रैल को मंत्रिपरिषद् समिति के सदस्यों ने स्कूल चलें हम अभियान को जल आंदोलन का रूप देने के लिये शासकीय और निजी स्तर पर अधिक से अधिक प्रयासों की जरूरत बताई। प्रस्तुतिकरण के दौरान बताया गया कि इस वर्ष अभियान के अंतर्गत समर केम्प का आयोजन भी किया जा रहा है। पालक शिक्षक संघों की भूमिका के साथ ही स्कूल प्रबंधन समितियों के गठन और उन्हें प्रभावी बनाने के संबंध में भी बैठक में चर्चा हुई। इस वर्ष अभियान में अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्याथिर्यों को निजी विद्यालयों में प्रवेश के लिये 25 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की पहल की गई है। अभियान के तहत 16 जून को प्रवेश उत्सव की कार्रवाई और सार्वजनिक रूप से विद्याथिर्यों को गणवेश के लिये चेक प्रदान किया जायेगा। स्कूल चलें हम अभियान को अभिनव स्वरूप देते हुए 16 जून से दो सप्ताह अवधि तक प्रतिदिन प्रभात फेरी का आयोजन भी होगा। एक जुलाई को ग्राम सभाओं में प्रवेश लेने वाले बच्चों के नाम पढ़कर सुनाए जाएंगे। इस अवसर पर जानकारी दी गई कि शिक्षकों की विद्यालय में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग भी प्रस्तावित है। मंत्रिपरिषद् समिति के सदस्यों ने स्कूल चलें अभियान के अंतर्गत कमजोर क्षेत्र में अधिक प्रयास करने के निर्देश दिए ताकि कोई भी बच्चा शाला में प्रवेश से वंचित न हो।
स्पर्श और उत्थान अभियान होगा नये रूप में
भोपाल में 9 अप्रैल को मंत्रालय में मंत्रिपरिषद् समिति द्वारा प्रदेश में नि:शक्तजन के सर्वेक्षण के लिये स्पर्श अभियान और उनकी सहायता के लिये उत्थान अभियान-2011 के संचालन के संबंध में भी विचार-विमर्श किया गया। नि:शक्त कल्याण के लिये प्रदेश में 1 से 15 जून तक विकास खंड स्तरीय मेलों और 1 जुलाई से जिला स्तरीय मेलों में नि:शक्तजन को सेवाओं के प्रदाय के कार्य प्रस्तावित हैं। इसके साथ चिन्हांकित नि:शक्तजन के कौशल उन्नयन के लिये प्रशिक्षण और रोजगार देने के लिये अभियान भी चलाया जायेगा। बैठक में स्पर्श और उत्थान अभियान के विस्तृत कार्य योजना और तैयार कैलेंडर के अनुसार आयोजित की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी दी गई। समिति ने नि:शक्तजन के पुनर्वास केन्द्रों को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया। इसके लिये भारत सरकार से आवश्यक सहयोग प्राप्त करने पर भी मंत्रिपरिषद् समिति ने सहमति व्यक्त की। नि:शक्तजन से संबंधित प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि नि:शक्तजन को स्कूल चलें हम अभियान से जोड़ने के लिये 16 जून से 15 जुलाई तक निरंतर प्रयास किये जायेंगे।
मंत्रिपरिषद् समिति की बैठक में प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग श्रीमती विजया श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव जल संसाधन श्री राधेश्याम जुलानिया, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्री रजनीश वैश्य, प्रमुख सचिव कृषि एवं सहकारिता श्री मदनमोहन उपाध्याय, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र श्री मनोज झालानी, सचिव एवं आयुक्त जनसंपर्क श्री राकेश श्रीवास्तव, ग्रामीण विकास सचिव श्री अजय तिर्की, श्री उमांकात उमराव, आयुक्त सामाजिक न्याय श्री हीरालाल त्रिवेदी एवं सचिव सामान्य प्रशासन श्री अरुण तिवारी भी उपस्थित थे।
गोवा फेस्ट-2011
मध्यप्रदेश पर्यटन को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार
'गोवा फेस्ट-2011' में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम को टी.व्ही. विज्ञापन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। गोवा में विज्ञापन क्लब, मुम्बई द्वारा आयोजित समारोह में पर्यटन विकास निगम के नये टी.व्ही. केम्पेन शैडो ग्राफी को फिल्म क्राफ्ट कैटेगिरी में दो स्वर्ण एवं एक रजत पुरस्कार मिला है जो मध्यप्रदेश पर्यटन के लिये गौरव का विषय है। यह टी.व्ही. केम्पेन 'एम.पी. अजब है गजब है' फुट केण्डिल्स मुम्बई की कम्पनी द्वारा निमिर्त किया गया है। 'गोवा फेस्ट-2011' में दिया जाने वाला यह राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड है, जिसे प्रतिवर्ष एडवरटायजिंग क्लब, मुम्बई द्वारा आयोजित किया जाता है। इसमें राष्ट्रीय स्तर के प्रतिभागियों को विज्ञापन की भिन्न-भिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिये जाते हैं।
अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति
आवासहीनों को भू-खण्ड उपलब्ध कराने योजना का क्रियान्वयन
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आवासहीन व्यक्तियों को आवासीय भवन बनाने के लिये राज्य शासन द्वारा भू-खण्ड उपलब्ध कराने की योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान प्रदेश के छह जिलों को 30 लाख 25 हजार रुपये की राशि आवंटित की गई। ये जिले हैं- दमोह, ग्वालियर, जबलपुर, नरसिंहपुर, रतलाम और उमरिया।
आवंटित राशि में से दो लाख रुपये दमोह जिले के लिये, पौने सात लाख रुपये ग्वालियर, छह-छह लाख रुपये जबलपुर एवं नरसिंहपुर जिले, ढाई लाख रुपये रतलाम और सात लाख रुपये उमरिया जिले के लिये स्वीकृत किये गये हैं।
Source Rojgar aur Nirman