Monday, April 11, 2011

देश में बढ़ा बाघों का कुनबा

बाघों की संख्या बढ़ने के लिहाज से देश का पश्चिमी घाट सबसे आगे है। यहां पिछली गणना में बाघों की संख्या 412 पायी गई थी, जो अब बढ़कर 534 हो गई है। जबकि होशंगाबाद, बैतूल, नर्मदा नदी के उत्तरी घाट और कान्हा किसली में बाघों की संख्या में काफी गिरावट पाई गई है।
कहां कितने बाघ

शिवालिक-गंगा के मैदानी इलाके 353
मध्य भारत तथा पूर्वी घाट 601
बाघ संरक्षित पश्चिम घाट 534
पूर्वोत्तर व ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्र 148
पं. बंगाल का सुंदरवन 70
विलुप्त होते बाघों के संरक्षण की दिशा में देश को उल्लेखनीय सफलता मिली, लेकिन मध्यप्रदेश में निराशा हाथ लगी। ताजा गणना के मुताबिक देश में बाघों की संख्या 1706 है। गणना में पहली बार सुंदरवन को भी शामिल किया गया और इस बार नक्सल क्षेत्रों में भी बाघों की गणना की गई। पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने नई दिल्ली में पिछले दिनों हुए अंतर्राष्ट्रीय बाघ संरक्षण सम्मेलन में यह आंकड़े जारी किए। उन्होंने बताया कि बाघों की पिछली गणना 2006 में हुई थी जिसमें देश में कुल 1411 बाघ ही पाए गए थे। जबकि ताजा गणना के अनुसार देश में 1571 से 1875 के बीच बाघ हैं। इसका औसत आंकड़ा 1706 लिया गया है। गणना के मुताबिक उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक में बाघों का कुनबा बढ़ा है। जबकि मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश में बाघ कम हो गए हैं। बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल-उत्तर बंगाल और केरल में बाघों की संख्या स्थिर है।
बाघ गणना का नेतृत्व कर रहे वन्यजीव संस्थान के यदुवीर झाला ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों में कम बाघ दिखे। पिछली गणना के मुताबिक बाघ 93600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में घूमते थे, जो अब सिकुड़कर 72800 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
पर्यावरण और वन राज्यमंत्री जयराम रमेश ने कहा कि बाघ संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। इसी के नतीजतन अब देश में बाघों की औसत संख्या 1706 है। यह एक अच्छा संकेत है। लेकिन बाघ संरक्षित गलियारों के समक्ष गंभीर खतरा मौजूद है। बाघों को खनन माफिया और भू-माफिया से खतरा है।
यह विश्व की सबसे आधुनिक बाघ गणना है। इसमें अहम स्थानों पर कैमरे लगाए गए और पैरों के निशान, रेडियो कॉलर, डीएनए व उपग्रह मैपिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया गया। देश के 39 बाघ संरक्षित क्षेत्रों सहित 45000 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में 4 लाख 70 हजार अधिकारियों को 625000 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
 http://www.mpinfo.org/mpinfonew/rojgar/2011/0404/sam04.asp

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