बाघों                                                                                   की                                                                                   संख्या                                                                                   बढ़ने                                                                                   के                                                                                   लिहाज                                                                                   से                                                                                   देश                                                                                   का                                                                                   पश्चिमी                                                                                   घाट                                                                                   सबसे                                                                                   आगे                                                                                   है।                                                                                   यहां                                                                                   पिछली                                                                                   गणना                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   संख्या                                                                                   412                                                                                   पायी                                                                                   गई                                                                                   थी,                                                                                   जो                                                                                   अब                                                                                   बढ़कर                                                                                   534                                                                                   हो                                                                                   गई                                                                                   है।                                                                                   जबकि                                                                                   होशंगाबाद,                                                                                   बैतूल,                                                                                   नर्मदा                                                                                   नदी                                                                                   के                                                                                   उत्तरी                                                                                   घाट                                                                                   और                                                                                   कान्हा                                                                                   किसली                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   संख्या                                                                                   में                                                                                   काफी                                                                                   गिरावट                                                                                   पाई                                                                                   गई                                                                                   है।                                                                                                                                                                      
कहां                                                                                   कितने                                                                                   बाघ
                                                                                   | शिवालिक-गंगा के मैदानी इलाके | 353 | 
| मध्य भारत तथा पूर्वी घाट | 601 | 
| बाघ संरक्षित पश्चिम घाट | 534 | 
| पूर्वोत्तर व ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्र | 148 | 
| पं. बंगाल का सुंदरवन | 70 | 
विलुप्त                                                                                   होते                                                                                   बाघों                                                                                   के                                                                                   संरक्षण                                                                                   की                                                                                   दिशा                                                                                   में                                                                                   देश                                                                                   को                                                                                   उल्लेखनीय                                                                                   सफलता                                                                                   मिली,                                                                                   लेकिन                                                                                   मध्यप्रदेश                                                                                   में                                                                                   निराशा                                                                                   हाथ                                                                                   लगी।                                                                                   ताजा                                                                                   गणना                                                                                   के                                                                                   मुताबिक                                                                                   देश                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   संख्या                                                                                   1706                                                                                   है।                                                                                   गणना                                                                                   में                                                                                   पहली                                                                                   बार                                                                                   सुंदरवन                                                                                   को                                                                                   भी                                                                                   शामिल                                                                                   किया                                                                                   गया                                                                                   और                                                                                   इस                                                                                   बार                                                                                   नक्सल                                                                                   क्षेत्रों                                                                                   में                                                                                   भी                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   गणना                                                                                   की                                                                                   गई।                                                                                   पर्यावरण                                                                                   मंत्री                                                                                   जयराम                                                                                   रमेश                                                                                   ने                                                                                   नई                                                                                   दिल्ली                                                                                   में                                                                                   पिछले                                                                                   दिनों                                                                                   हुए                                                                                   अंतर्राष्ट्रीय                                                                                   बाघ                                                                                   संरक्षण                                                                                   सम्मेलन                                                                                   में                                                                                   यह                                                                                   आंकड़े                                                                                   जारी                                                                                   किए।                                                                                   उन्होंने                                                                                   बताया                                                                                   कि                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   पिछली                                                                                   गणना                                                                                   2006                                                                                   में                                                                                   हुई                                                                                   थी                                                                                   जिसमें                                                                                   देश                                                                                   में                                                                                   कुल                                                                                   1411                                                                                   बाघ                                                                                   ही                                                                                   पाए                                                                                   गए                                                                                   थे।                                                                                   जबकि                                                                                   ताजा                                                                                   गणना                                                                                   के                                                                                   अनुसार                                                                                   देश                                                                                   में                                                                                   1571                                                                                   से                                                                                   1875                                                                                   के                                                                                   बीच                                                                                   बाघ                                                                                   हैं।                                                                                   इसका                                                                                   औसत                                                                                   आंकड़ा                                                                                   1706                                                                                   लिया                                                                                   गया                                                                                   है।                                                                                   गणना                                                                                   के                                                                                   मुताबिक                                                                                   उत्तराखंड,                                                                                   महाराष्ट्र,                                                                                   असम,                                                                                   तमिलनाडु                                                                                   और                                                                                   कर्नाटक                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   का                                                                                   कुनबा                                                                                   बढ़ा                                                                                   है।                                                                                   जबकि                                                                                   मध्यप्रदेश                                                                                   और                                                                                   आंध्रप्रदेश                                                                                   में                                                                                   बाघ                                                                                   कम                                                                                   हो                                                                                   गए                                                                                   हैं।                                                                                   बिहार,                                                                                   उत्तरप्रदेश,                                                                                   छत्तीसगढ़,                                                                                   राजस्थान,                                                                                   उड़ीसा,                                                                                   मिजोरम,                                                                                   पश्चिम                                                                                   बंगाल-उत्तर                                                                                   बंगाल                                                                                   और                                                                                   केरल                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   संख्या                                                                                   स्थिर                                                                                   है।
                                                                                                                                                                     बाघ                                                                                   गणना                                                                                   का                                                                                   नेतृत्व                                                                                   कर                                                                                   रहे                                                                                   वन्यजीव                                                                                   संस्थान                                                                                   के                                                                                   यदुवीर                                                                                   झाला                                                                                   ने                                                                                   कहा                                                                                   कि                                                                                   संरक्षित                                                                                   क्षेत्रों                                                                                   में                                                                                   कम                                                                                   बाघ                                                                                   दिखे।                                                                                   पिछली                                                                                   गणना                                                                                   के                                                                                   मुताबिक                                                                                   बाघ                                                                                   93600                                                                                   वर्ग                                                                                   किलोमीटर                                                                                   क्षेत्र                                                                                   में                                                                                   घूमते                                                                                   थे,                                                                                   जो                                                                                   अब                                                                                   सिकुड़कर                                                                                   72800                                                                                   वर्ग                                                                                   किलोमीटर                                                                                   हो                                                                                   गया                                                                                   है।
                                                                                                                                                                     पर्यावरण                                                                                   और                                                                                   वन                                                                                   राज्यमंत्री                                                                                   जयराम                                                                                   रमेश                                                                                   ने                                                                                   कहा                                                                                   कि                                                                                   बाघ                                                                                   संरक्षण                                                                                   के                                                                                   क्षेत्र                                                                                   में                                                                                   अच्छा                                                                                   काम                                                                                   हुआ                                                                                   है।                                                                                   इसी                                                                                   के                                                                                   नतीजतन                                                                                   अब                                                                                   देश                                                                                   में                                                                                   बाघों                                                                                   की                                                                                   औसत                                                                                   संख्या                                                                                   1706                                                                                   है।                                                                                   यह                                                                                   एक                                                                                   अच्छा                                                                                   संकेत                                                                                   है।                                                                                   लेकिन                                                                                   बाघ                                                                                   संरक्षित                                                                                   गलियारों                                                                                   के                                                                                   समक्ष                                                                                   गंभीर                                                                                   खतरा                                                                                   मौजूद                                                                                   है।                                                                                   बाघों                                                                                   को                                                                                   खनन                                                                                   माफिया                                                                                   और                                                                                   भू-माफिया                                                                                   से                                                                                   खतरा                                                                                   है।
                                                                                                                                                                     यह                                                                                   विश्व                                                                                   की                                                                                   सबसे                                                                                   आधुनिक                                                                                   बाघ                                                                                   गणना                                                                                   है।                                                                                   इसमें                                                                                   अहम                                                                                   स्थानों                                                                                   पर                                                                                   कैमरे                                                                                   लगाए                                                                                   गए                                                                                   और                                                                                   पैरों                                                                                   के                                                                                   निशान,                                                                                   रेडियो                                                                                   कॉलर,                                                                                   डीएनए                                                                                   व                                                                                   उपग्रह                                                                                   मैपिंग                                                                                   प्रणाली                                                                                   का                                                                                   इस्तेमाल                                                                                   किया                                                                                   गया।                                                                                   देश                                                                                   के                                                                                   39                                                                                   बाघ                                                                                   संरक्षित                                                                                   क्षेत्रों                                                                                   सहित                                                                                   45000                                                                                   वर्ग                                                                                   किलोमीटर                                                                                   वन                                                                                   क्षेत्र                                                                                   में                                                                                   4                                                                                   लाख                                                                                   70                                                                                   हजार                                                                                   अधिकारियों                                                                                   को                                                                                   625000                                                                                   किलोमीटर                                                                                   पैदल                                                                                   चलना                                                                                   पड़ा।
 http://www.mpinfo.org/mpinfonew/rojgar/2011/0404/sam04.asp                                             
 
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