आज के दौर में भू-जल स्तर का लगातार नीचे गिरना एक बड़ी भारी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। इस समस्या से आदिवासी अंचल भी अछूते नहीं रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के जलस्तर में वृद्धि किये जाने के उद्देश्य से पिछले कुछ सालों से पूरे प्रदेश में जलाभिषेक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में जन-भागीदारी को सर्वोपरि रखते हुए प्राथमिकता दी गई है।
खरगौन जिले के आदिवासी विकासखण्ड का ग्राम शाबासपुरा पिछले कुछ वर्षों से लगातार जल संकट को झेल रहा था। इसका प्रभाव गांव में रहने वाले आदिवासियों के जीवन पर भी पड़ रहा था। आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित एकीकृत आदिम जाति विकास परियोजना के माध्यम से इस गांव में जल संरचनाओं के निर्माण का कार्य हाथ में लिया गया। गांव के लोगों को इन निर्माण कार्यों में श्रमदान किये जाने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
ग्राम शाबासपुरा में जलाभिषेक योजना के तहत राशि खर्च कर तालाब गहरीकरण का कार्य किया गया। इसके साथ ही खेतों के कुओं में रिचार्जिंग का कार्य भी किया गया। इन कार्यों का यह असर पड़ा कि गांव में जलस्तर में सवा मीटर तक की वृद्धि हुई। जलस्तर बढ़ने से गांव के खेतों में सिंचाई सुविधा भी बढ़ी। आज गांव के नारायण सिंह, तेरसिंह, मंशाराम, रामसिंह पहले के मुकाबले ज्यादा फसल ले रहे हैं।
आज इनकी खुशहाली देखकर आसपास के गांवों में भी जलाभिषेक अभियान के प्रति ग्रामीणों में रुचि बढ़ी है। वे अपने गांव में श्रमदान करके जल संरचनाओं के निर्माण के लिये पहल कर रहे हैं।
http://www.mpinfo.org/mpinfonew/rojgar/2011/0404/other02.asp
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